हे बापू
हम आये है यहाँ फिर एक बार तुम्हे वापस वतन ले जाने
को
निकलो अब इस मूरत से और चलो हमारे साथ
आज हिसां की आग में लिपटा मेरा वतन
तुम्हारी अहिंसा को भूल बैठा है
कॉर्पोरेट में जीता वतन
तुम्हारे ग्राम स्वराज को भूल बैठा हैं
आओ अब लौट चलें
हिंसा पर अहिंसा का और असत्य पर सत्य का परचम लहराएँ
कमजोरों की ताकत बने , असंगठित को संगठित बनायें
चलो बापू तुम्हारे सपनों को पूरा करें
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