अप्रदर्शित
स्नेह सा है हमारे दरमियां,
एक दूसरे का साथ
और
प्यारा सा अहसास अब है हमारे दरमियां ,
गुज़ारे है साथ बहुत से हसीन लम्हे हमने ,
इन लम्हों के बागबान अब है हमारे दरमियां,
बीते
दिनों कि यादों का अम्बार सा लगा है ,
इन
यादों की मिठास का स्वाद अब है हमारे दरमियां ,
फासले चाहे भले ही आ गये हो राहों में ,
फिर भी इन फ़ासलों की करीबियां अब है हमारे दरमियां,
कुछ
अनकही सी बातें है कुछ अनसुनी कहानियां ,
बेजुबान
शब्दों कि दास्तान अब है हमारे दरमियां,
ये दास्तान ये अहसास ये बागबान ,
कभी न बिखरने देने कि एक शर्त है अब हमारे दरमियां|
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श्रुतिमा दीदी के लिए 2012
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