Wednesday, November 13, 2013

तो मैं सिर्फ और सिर्फ युद्ध चाहता हूँ..



गर पडोसी मुल्कों से युद्ध करके
ही बदलाव संभव है,
गर हथियारों से ही विकास संभव है
गर युद्ध करके ही हम खुद को बचा पाएंगे
और इसी से हम भ्रष्टाचार भी मिटा पाएंगे,
पित्रात्मक सत्ता को ललकार पाएंगे,
मजदूरों की आवाज बुलंद कर पाएंगे,
कोख में मरती बेटियों को बचा पाएंगे,
गरीबों का शोषण रो़क पाएंगे ,
समाज से अन्धविश्वास का पर्दा हटा पाएंगे,
तो मैं सिर्फ और सिर्फ युद्ध चाहता हूँ
आओ काट दो पड़ोसियों के सर,
कुचल दो अहिंसा की आवाजें,
दिखा दो इंसानियत का नंगा नाच,
करो दो मानवता का कत्ले-ए-आम,
चलो अब युद्ध करो पडोसी मुल्कों से ,
आओं कर दो बदलाव........

2 comments:

  1. आओ काट दो पड़ोसियों के सर,
    कुचल दो अहिंसा की आवाजें,
    दिखा दो इंसानियत का नंगा नाच,
    करो दो मानवता का कत्ले-ए-आम,
    चलो अब युद्ध करो पडोसी मुल्कों से ,
    आओं कर दो बदलाव........
    BEHTAREEN

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  2. @02shalinikaushik धन्यवाद |

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धूल में उड़ते कण

धूल में उड़ते कण -सुशांत