जिंदगी जीने के बहाने ना ढूंढिए,
जमीं पर हर तरफ आग है,
कश्तियों में बैठ किनारा ना ढूंढिए,
बहुत खलिश है जज्बातों में अब ,
विश्वास को तराजू में ना तौलिये,
बहुत गहरी हैं नफरत-ए-दरमियां,
.
हमारी रूह की गहराइयों को ना टटोलिए ,
उदासी का आलम फ़ैल जायेगा चारों ओर,
मेहरबानी कर उन जख्मों को ना कुरेदिए ,
तूफ़ान आने वाला है सवालों का ,
जवाब खोजिये,
कायरता का नमूना ना दीजिए ,
गर नई कहानी बुननी है,
उजालों का हाथ थाम ले,
रात के अंधेरों में सहारे ना ढूंढिए|
उजालों का हाथ थाम लें
ReplyDeleteरात के अंधेरों में उजाले न ढूढिये
बहुत सार्थक अभिव्यक्ति सुशांत जी
achchhi lagi. keep trying to bring your emotions on paper. these will be your best frind in loneli ness
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteइस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (20-10-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ! नमस्ते जी!
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ReplyDeleteजिंदगी जीने के बहाने ना ढूंढिए,
जमीं पर हर तरफ आग है,
कश्तियो में बैठ किनारा ना ढूंढिए,.........कश्तियों .................
बहुत खलिश है जस्बातों में अब ,.........ज़ज्बातों .......
विश्वास को तराजू में ना तोलिये,........तौलिये
बहुत गहरी हैं नफरत-ए- दरमियां, .
हमारी रूह की गहराइयों को ना टटोलिए ,
उदासी का आलम फ़ैल जायेगा चारों ओर,
मेहरबानी कर उन जख्मों को ना कुरेतिये ,................कुरेदिए ...........
तूफ़ान आने वाला है सवालों का ,
जवाब खोजिये,
कायरता का नमूना ना दीजिए ,
गर नई कहानी बुननी है,
उजालों का हाथ थाम ले,
रात के अंधेरों में सहारे ना ढूंढिए|
Posted by Sushant shankar at 2:46 AM बहुत बढ़िया गजल है दोस्त ,बढिया आवाहन है बदलाव की ओर उत्प्रेरण है .संघर्ष का गिगुल बजाती है रचना चुपके चुपके .
आपको ये जानकार ख़ुशी होगी की एक सामूहिक ब्लॉग ''इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड ''शुरू हो चुका है.जिसमे हर हफ्ते भारतीय ब्लोगर्स ओर हिंदी ब्लोग्स का परिचय करवाया जायेगा.और भारतीय ब्लोग्स की साप्ताहिक चर्चा भी होगी.और साथ ही सभी ब्लॉग सदस्यों के ब्लोग्स का अपडेट्स भी होगा.ये सामूहिक ब्लॉग ज्यादा से ज्यादा हिंदी ब्लोग्स का प्रमोशन करेगा.आप भी इसका हिस्सा बने.और आज ही ज्वाइन करें.और इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड के सदस्य बने.
ReplyDeleteइंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड
सही बात ,,
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन रचना...
:-)
fantastic....:)
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