जब जग में ना कोई अपना ,ना कोई पराया हो ,
जिंदगी की कश्ती का ना कोई किनारा हो ,
तो क्या मृत्यु ही आखिरी सहारा हो??
जब ह्रदय के आकाश में काली घटा का साया हो ,
क्षण -प्रतिक्षण इस भीड़ में घुटता दम हमारा हो,
तो क्या मृत्यु ही आखिरी सहारा हो??
जब वर्त्तमान पर भरी भूत और भविष्य का ना कोई ठौर ठिकाना हो,
चहरे पर उदासी और आँखों में सागर सा नज़ारा हो ,
तो क्या मृत्यु ही आखिरी सहारा हो??
नहीं ,
मृत्यु ही आखिरी सहारा ना होगा ,
इन कश्तियों का किनारा ना होगा ,
ये तो अंत होगा,
सिर्फ अंत
जिसके बाद कोई नजारा ना होगा ........
जिंदगी की कश्ती का ना कोई किनारा हो ,
तो क्या मृत्यु ही आखिरी सहारा हो??
जब ह्रदय के आकाश में काली घटा का साया हो ,
क्षण -प्रतिक्षण इस भीड़ में घुटता दम हमारा हो,
तो क्या मृत्यु ही आखिरी सहारा हो??
जब वर्त्तमान पर भरी भूत और भविष्य का ना कोई ठौर ठिकाना हो,
चहरे पर उदासी और आँखों में सागर सा नज़ारा हो ,
तो क्या मृत्यु ही आखिरी सहारा हो??
नहीं ,
मृत्यु ही आखिरी सहारा ना होगा ,
इन कश्तियों का किनारा ना होगा ,
ये तो अंत होगा,
सिर्फ अंत
जिसके बाद कोई नजारा ना होगा ........
बेहतरीन ख्याल ...
ReplyDeleteतुम अपने ब्लॉग को नीचे लिखे एड्रेस परे जाकर पंजीकृत करवा लो :
ReplyDeletehttp://www.hamarivani.com/
और setting में जाकर word verification हटा लो
I just love this poetry of urs,,,,,fantastic,,,superb composition........
ReplyDelete