कभी बारिश की बूंदों में नहा कर तो देखो ,
अपने मन की प्यास बुझा कर तो देखो ,
देखो सपने सब हो अपने ,
सभी को अपना बना कर तो देखो ,
माँ से बिछड़े बच्चों को ,
कभी गले लगा कर तो देखो ,
सदियों से बंद इन कमरों में कभी ,
धूप की एक किरण ला कर तो देखो ,
सूखे मुरझाये पौधों में कभी ,
पानी की फुहार डाल कर तो देखो ,
बदल जायेंगे सब ,सब के सब ,
बस एक बार ,
एक बार अपने आप को बदल कर तो देखो .....
अपने मन की प्यास बुझा कर तो देखो ,
देखो सपने सब हो अपने ,
सभी को अपना बना कर तो देखो ,
माँ से बिछड़े बच्चों को ,
कभी गले लगा कर तो देखो ,
सदियों से बंद इन कमरों में कभी ,
धूप की एक किरण ला कर तो देखो ,
सूखे मुरझाये पौधों में कभी ,
पानी की फुहार डाल कर तो देखो ,
बदल जायेंगे सब ,सब के सब ,
बस एक बार ,
एक बार अपने आप को बदल कर तो देखो .....
बहुत खूब
ReplyDeleteसुन्दर आशावादी रचना
उत्प्रेरक भी
बहुत बहुत धन्यवाद मामाजी
ReplyDeletesoooooooooooooooo inspiring,,,,,,,,,,,,keep going on!!!!!!!!!!!!!
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